धर्मपाल जी एक प्रतिष्ठित भारतीय इतिहासकार हैं। धर्मपाल जी से सम्पर्क में आने के उपरान्त भारत के इतिहास के प्रति हमारी दृष्टि में तो आमूल-चूल परिवर्तन तो आया ही इसके साथ ही वर्तमान के भारतीय व पश्चिमी समाज को समझने का एक बेहतर दृष्टिकोण भी हमें प्राप्त हुआ। धर्मपाल जी ने ब्रिटिश दस्तावेजों का अध्ययन कर भारत के समाज का इतिहास, आज की पीढ़ी को लिए उपलब्ध कराया है। साथ ही एसे कई सुत्र दिये हैं जिससे हम अपने अतीत को और अधिक गहराई से देख व समझ सकते हैं। इसके आने वाली पीढ़ीयाँ उनकी हमेशा ऋणी रहेंगी।
श्री अग्रहार नागराज सर्मन अमरकंटक के एक संत, आयुर्वेदिक चिकित्सक और किसान थे। उनके द्वारा प्रतिपादित ‘मध्यस्थ दर्शन’ का सिद्ध की चिन्तन यात्रा में बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है। मध्यस्थ दर्शन से प्रेरित होकर आज हमें अपने भीतर के द्वन्द्धों को देखने की स्पष्टता मिलती है और इससे हम एक समाधान की ओर भी बढ़ते हैं।
गुरुजी श्री रविंद्र शर्मा, आदिलाबाद के कलाश्रम के संस्थापक, एक कारीगर और कथाकार थे। धर्मपाल जी ने जिस इतिहास का चित्र हमारे सम्मुख उकेरा था उस इतिहास की वास्तविक कथाओं और भारतीय मानस की बारीकियों को समझने के लिए सिद्ध हमेशा गुरुजी श्री रविन्द्र शर्मा का ऋणी रहेगा।